Bachpan Ki Yaden - Jab Mai Chhota Tha

जब मैं छोटा था,
शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी
मुझे याद है मेरे घर सेस्कूलतक का वो रास्ता,
क्या क्या नहीं था वहां,
छत के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहांमोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लरहैं, फिर भी सब सूना है….
शायद अब दुनिया सिमट रही है……

जब मैं छोटा था,
शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी….
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था,
वो लम्बीसाइकिल रेस”, वो बचपन के खेल,
वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है……….
शायद वक्त सिमट रहा है……..

जब मैं छोटा था,
शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना,
वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़किया, वो साथ रोना,
अब भी मेरे कई दोस्त हैं, पर दोस्ती जाने कहाँ है,
जब भीट्रेफिक सिग्नलपे मिलते हैंहाईकरते हैं,
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं

Comments

  1. GM: BACHAPAN KE DIN: Bachpan Kya ZAMANA Hota Tha, Khush¡yon Ka KHAZANA Hota Tha,! Chahat CHAAND Ko Paane Ki hoti thi, DiL Titaly Ka DEEWANA Hota Tha,! Rone Ki Waja Na Hoti Thi meri, Hasne Ka BAHANA Hota Tha. Khabar Na Thi Kuchh Subah Ki, Na Shaamon Ka THIKANA Hota Tha DAADI Ki Kahani Hoti Thi, Pariyon Ka FASANA Hota Tha Gham Ki Zuban Na Hoti Thi, Na Zakhmon Ka PAYMANA Hota Tha Barish Me Kaghaz Ki KASHTI hoti thi Hr Mosam SUHANA Hota Tha Wo Khel Wo SAATHI Hote Thy Har R¡shta NIBHANA Hota Tha!!!

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