तेरे बगैर जिंदगी की यु आदत सी हो गयी

तेरे बगैर जिंदगी की यु आदत सी हो गयी
वीरानियो से अब तो मोहब्बत सी हो गयी

तुम लाख कहो हमको मजनू या दीवाना
अब पत्थरों की मार की फितरत [Habit] सी हो गयी

तुम थे खतावार या मेरा गुनाह था
वो एक पल की जुदाई अब किस्मत सी हो गयी

धडकनों में शोर है चाहतो में सोज़
खामोशिया चमन की हकीकत सी हो गयी

हम नासमझ थे जिंदगी के इस मुकाम से
तुम पल भर को पास आये और हसरत सी हो गयी

इरादे वफ़ा के आज भी जिन्दा है हम में कही
पर क्या करे के तेरे नाम से नफरत सी हो गयी

तुम हमको जेहर दो या के शूली पे चढाओ
अब दर्द को सहने की तो कुवत [strength] सी हो गयी

वोह जख्म का सेहरा [desert] हो या अश्को का समंदर
हर गम को जब्त करना चाहत सी हो गई

अजब पुरशुकून थे वो जुल्फों के उजाले
पर अब तो अंधेरो से ही उल्फत सी हो गयी

इस नज़्म को गर पढना तो हमदर्दी दिखाना
इन लबो को मुस्कुराये तो मुद्दत सी हो गयी

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